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What will happen to old Ram Lalla? All you need to know about 4 idols in Ram Temple

What will happen to old Ram Lalla? All you need to know about 4 idols in Ram Temple : राम मंदिर: चार प्रतिमाएं और उनकी महत्वपूर्ण बातें

 

राम मंदिर ने अपने द्वार खोलने के साथ ही अयोध्या को एक नए अध्याय में प्रवेश कराया है, और इसके साथ ही यहां के राम भक्तों के लिए एक नई धारा शुरू हो रही है। इस मंदिर का अभिषेक 5 फरवरी 2024 को किया गया था और इसमें चार प्रतिमाएं शामिल हैं, जिनमें से एक पुरानी राम लल्ला प्रतिमा भी है। इस नए धाराएं भरे मंदिर में चार प्रतिमाएं कैसे स्थित हैं, उसके बारे में यहां विस्तार से जानकारी है: राम मंदिर, जिसका अभिषेक 5 फरवरी 2024 को हुआ, अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत की एक नई कड़ी का प्रतीक है। इस मंदिर में चार मुख्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, जो भक्तों के लिए महत्वपूर्ण हैं।पहली प्रतिमा है पुरानी राम लल्ला, जो राम मंदिर के निर्माण से पहले आस-पास स्थित थी और भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बन चुकी थी। इस प्रतिमा को स्थानीय लोगों की अदृश्य पूजना एक पारंपरिक रीति बन गई है।दूसरी प्रतिमा है मुख्य रूप से पूज्य रहेंगे भगवान राम की, जो राम मंदिर के मुख्य मंदिर स्थल पर स्थित है। इस प्रतिमा को समर्पित किया गया है और भक्तों के आराध्य देवता के रूप में स्वीकृत किया जा रहा है।तीसरी प्रतिमा है भगवान राम के भाई लक्ष्मण की, जो उनके साथी और निष्ठावान सहायक रहे हैं। लक्ष्मण की पूजा भी मंदिर में महत्वपूर्ण रूप से की जाएगी और भक्तों को उनकी उपासना का अवसर मिलेगा।चौथी और अंतिम प्रतिमा है महाकाली की, जो देवी दुर्गा के रूप में हैं। यह प्रतिमा शक्ति और सुरक्षा की प्रतीक है और मंदिर के सुरक्षा और कल्याण की कवच के रूप में स्थित है।

इन चार प्रतिमाओं के माध्यम से राम मंदिर ने एक सांस्कृतिक समृद्धि की ऊँचाइयों की ऊर्जा को अनुभव कराया है और भक्तों के लिए एक नया धार्मिक केंद्र बन गया है। यह मंदिर न केवल भारतीय धरोहर का हिस्सा है, बल्कि एक सशक्त और एकजुट भक्त समुदाय की उत्थान की दिशा में भी कार्य कर रहा है।

मूल राम लल्ला प्रतिमा, 5-साल का राम लल्ला प्रतिमा, और गणेश भट्ट की राम लल्ला प्रतिमा – ये तीनों प्रतिमाएं अपनी अद्वितीयता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध हैं। इन प्रतिमाओं का सामंजस्यपूर्ण विवरण निम्नलिखित है:

Ram lala photo HD

मूल राम लल्ला प्रतिमा:

मूल राम लल्ला प्रतिमा एक प्राचीन मंदिर में स्थापित है, जिसकी ऊचाई पांच से छह इंच की है। यह प्रतिमा मंदिर के प्रमुख भगवान की रूप में पूजी जाती है। इस प्रतिमा को दूर से 25 से 30 फीट की दूरी से देखना संभव नहीं था, इसलिए एक नई प्रतिमा को स्थापित करना आवश्यक हुआ। नई प्रतिमा, जो मूल प्रतिमा के सामने स्थापित की जाएगी, नए ऊचाई और भव्यता के साथ मंदिर को सजाएगी।

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5-साल का राम लल्ला प्रतिमा:

कर्नाटक के आरुण योगिराज द्वारा निर्मित इस प्रतिमा को मंदिर के प्रधान स्थान पर स्थापित किया गया है। इस प्रतिमा को तीन में से सर्वश्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि इसमें बालक की मासूमियत को दैवी और राजसी गुणों के साथ मिलाकर प्रतिष्ठित किया गया है। यह प्रतिमा एक नए स्तर पर बच्चे के साथ भगवान के साकार रूप की पूजा को प्रमोट करती है। प्रतिष्ठा समारोह के दौरान, 12:20 बजे, इसकी आंखें प्रगट्य होंगी, जो भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करेगी।

गणेश भट्ट की राम लल्ला प्रतिमा:

यह भी एक 51 इंच की प्रतिमा है, जिसे काले पत्थर से बनाया गया है। गणेश भट्ट की राम लल्ला प्रतिमा को प्राण-प्रतिष्ठा के लिए चयन नहीं हुई, लेकिन इसे मंदिर में सभी आदर और इज्जत के साथ स्थानांतरित किया जाएगा। इस प्रतिमा में भगवान की सजगता और शांति का अहसास होता है, जो भक्तों को ध्यान में लाने में मदद करता है।

इन प्रतिमाओं की महत्वपूर्ण बातें यह हैं कि वे न केवल आस्था की आदान-प्रदान करती हैं बल्कि भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभवों में भी सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल करती हैं। इन प्रतिमाओं का समर्पण और पूजा भक्तों को एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव में ले जाता है, जिससे सामाजिक और आध्यात्मिक साक्षरता में वृद्धि होती है।

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इन प्रतिमाओं की पूजा और स्थापना समारोहों के माध्यम से सामाजिक समृद्धि और एकता का संदेश फैलाया जा रहा है। ये प्रतिमाएं धार्मिकता, श्रद्धा, और सामूहिक अद्भुतता की भावना को बढ़ावा देती हैं, जो समृद्धि और सद्गुण समाज की दिशा में सहायक हो सकती हैं।
भारत में स्थित चारों मंदिरों का एक अद्वितीय महत्व है जो भक्तों को अपने आदर्श और धार्मिक विचारों के साथ जोड़ने का अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं। इन मंदिरों में स्थित प्रतिमाएं भगवान के प्रति श्रद्धाभावना को बढ़ावा देती हैं और भक्तों को आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करती हैं।

नया राम मंदिर, जो एक महत्वपूर्ण स्थान बन गया है, भगवान राम के प्रेमी भक्तों के लिए आत्मिक शांति और समृद्धि का स्रोत है। यह मंदिर भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा बन गया है और लाखों भक्तों को एक साथ आने का अवसर प्रदान करता है। यहां के संतों और धार्मिक आचार्यों के सुझावों के माध्यम से लोग अपने जीवन को धार्मिकता और सद्गुण से भरने का प्रयास करते हैं।

राम मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बन गया है, जो भारतीय समाज को एक समृद्ध और सहज धार्मिकता का महसूस कराता है। इसका सत्कार करने वाले भक्त न केवल अपने आत्मा को प्रकाशित करते हैं बल्कि समाज के साथ एक सशक्त और सान्त्वना भरा संबंध भी बनाए रखते हैं। इस प्रकार, ये मंदिर धार्मिक समृद्धि और सामाजिक एकता के साधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

 

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